घायल मजदूर को अस्पताल ने मिला नहीं Bed, हाथ में Glucose की बोतल थामे पिता के साथ घूमता रहा बेटा

चुनाव से पहले आम जनता से बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन जब चुनाव का मौसम आता है तो सभी वादे भी निभ जाते हैं। बिहार में इन दिनों चुनावी दौर चल रहा है, इस बीच एक तस्वीर सामने आ रही है जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार के दावों का खुलासा हुआ है। मामला
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घायल मजदूर को अस्पताल ने मिला नहीं Bed, हाथ में Glucose की बोतल थामे पिता के साथ घूमता रहा बेटा

चुनाव से पहले आम जनता से बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन जब चुनाव का मौसम आता है तो सभी वादे भी निभ जाते हैं। बिहार में इन दिनों चुनावी दौर चल रहा है, इस बीच एक तस्वीर सामने आ रही है जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार के दावों का खुलासा हुआ है। मामला आरा जिले का है। पांच साल के एक बच्चे को अपने पिता के साथ ग्लूकोज की बोतल (खारा) लेकर अस्पताल जाते देखा गया। इसका कारण पूछने पर मरीज ने कहा कि अस्पताल में बिस्तर नहीं मिला। डॉक्टर ने टपकने की सलाह दी। वह टपक गया लेकिन उसे अस्पताल में सोने के लिए जगह नहीं मिली। जबकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इलाज ठीक से किया गया है, लेकिन मरीज अचानक टपकने के समय बाहर आया।

मोहन यादव, जो आरा के बिहारी का रहने वाला है, दिहाड़ी मजदूर है। गुरुवार को वह घर पर पेंटिंग करते समय गिर गया, जिससे उसका पैर घायल हो गया। उन्हें उनके पांच वर्षीय बेटे मुन्ना के साथ इलाज के लिए सदर अस्पताल आरा ले जाया गया। यहां डॉक्टर ने मोहन के पैर में ड्रेसिंग डाल दी और फिर उसे ड्रिप लगाने की सलाह दी। अस्पताल के कर्मचारियों ने मोहन को ड्रिप लगाई लेकिन बिस्तर नहीं मिला। उसने मोहन के पाँच साल के बेटे के हाथ में बिंदी लगा दी। अस्पताल में बैठने की जगह नहीं थी, तब मोहन और उसका बेटा अस्पताल से बाहर आए। मोहन के हाथ में ड्रिप थी और बोतल उसके पांच साल के बेटे के हाथ में थी। इस दृश्य को देखकर हर कोई हैरान था।

सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ। प्रतीक कुमार ने कहा कि मरीज का अस्पताल में सही तरीके से इलाज किया गया है। मरीज को डॉक्टर की सलाह के साथ खारा भी पेश किया गया। इसके बावजूद, रोगी को यह नहीं पता था कि वार्ड के बाहर उसके बेटे के साथ उसका कैसा संबंध है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है।