जेल में लेखक की मौत के बाद Dhaka में विरोध प्रदर्शन

लेखक और ब्लॉगर मुश्ताक अहमद की काशीपुर जेल में मौत होने के बाद ढाका में विरोध प्रदर्शन होने लगे। अहमद को छह बार जमानत देने से इनकार किया जा चुका था। मौत के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए और विवादास्पद डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (डीएसए) को निरस्त करने की मांग करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने 1
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जेल में लेखक की मौत के बाद Dhaka में विरोध प्रदर्शन

लेखक और ब्लॉगर मुश्ताक अहमद की काशीपुर जेल में मौत होने के बाद ढाका में विरोध प्रदर्शन होने लगे। अहमद को छह बार जमानत देने से इनकार किया जा चुका था। मौत के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए और विवादास्पद डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (डीएसए) को निरस्त करने की मांग करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने 1 मार्च को गृह मंत्रालय की घेराबंदी करने की धमकी दी।
53 साल के अहमद, माइकल कुमीर ठाकुर के नाम से लिखते थे और सरकार के महामारी से निपटने के तौर-तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचनात्मक थे। उनकी पुस्तक ‘कुमीर (मगरमच्छ) चाशेर डायरी’ नवंबर 2018 में प्रकाशित हुई थी, और वह एक अन्य पुस्तक पर काम कर रहे थे।

हालांकि, उन्हें कार्टूनिस्ट अहमद कबीर किशोर के साथ 6 मई, 2020 को रैपिड एक्शन बटालियन द्वारा डीएसए के तहत कथित तौर पर ‘अफवाह फैलाने और सरकार विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

23 फरवरी को, अहमद और कार्टूनिस्ट किशोर को साइबर क्राइम ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए लाया गया जहां उन्हें फिर से जमानत से वंचित कर दिया गया। न्यायाधीश ने जांचकर्ताओं को मामले में ‘आगे की जांच’ शुरू करने और 23 मार्च तक एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। उस समय किशोर के भाई अहसान कबीर ने दोनों को आखिरी बार देखा था।

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) की इकाई और ट्रांसनेशनल क्राइम (सीटीटीसी) इकाई ने गुरुवार को जेल में अहमद की मौत से दो दिन पहले उनके लिए तीन दिन की रिमांड की मांग की।

जनरल रिकॉर्डिगअधिकारी निजाम उद्दीन ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि ढाका के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एमडी अबू बकर सिद्दीकी ने याचिका की सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की थी और जेल से अदालत के समक्ष दोनों अधिकारियों को पेश करने के लिए कहा था।

गाजीपुर के जॉयदेवपुर पुलिस थाने के सब-इंस्पेक्टर सैयद बायजीद, जिन्होंने जांच रिपोर्ट तैयार की, उन्होंने कहा कि अहमद की पीठ पर घाव पाए गए। इसके अलावा, उनके दाएं और बाएं हाथों पर लाल-काले छोटे धब्बे पाए गए थे।

गाजीपुर में शहीद ताजुद्दीन अहमद मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के अनुसार, लेखक की ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके शरीर पर चोटों के कोई स्पष्ट संकेत नहीं थे।

हालांकि, अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. शफी मोहिमेन ने कहा कि ऑटोप्सी रिपोर्ट पेश होने के बाद ही आगे के विवरण का खुलासा किया जा सकता है।

काशीमपुर हाई सिक्योरिटी जेल के कार्यवाहक अधीक्षक गियास उद्दीन ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया, “वह गुरुवार सुबह 7.10 बजे के आसपास बेहोश हो गए थे। हम तुरंत उन्हें शहीद ताजुद्दीन अहमद मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए। एक डॉक्टर ने उन्हें लगभग 8.20 बजे मृत घोषित कर दिया।”

पुलिस के अनुसार, जॉयदेवपुर पुलिस स्टेशन मेंअप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्हें संदेह है कि अस्पताल ले जाते समय शरीर में खरोंच, जख्म हो गया होगा।

गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने कहा कि मुश्ताक अहमद की मौत की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई जाएगी।

मृतक लेखक के परिवार में पत्नी लीपा अख्तर और बुजुर्ग माता-पिता हैं।

न्यूज सत्रोत आईएएनएस