ध्वनि प्रदूषण का बुरा असर पक्षियों पर

क्वीन्स यूनिवर्सिटी, बेलफास्ट के नए रिसर्च में दावा किया गया है कि ध्वनि प्रदूषण का असर पक्षियों पर भी बुरी तरह से हो रहा है। रिसर्च के अनुसार, इंसानों की तरफ से की जानेवाली ध्वनि प्रदूषण का असर चिड़ियों और पक्षियों पर हो रहा है। उनकी दिनचर्या, उनके लिए भोजन का इंतजाम और यहां तक
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 क्वीन्स यूनिवर्सिटी, बेलफास्ट के नए रिसर्च में दावा किया गया है कि ध्वनि प्रदूषण का असर पक्षियों पर भी बुरी तरह से हो रहा है। रिसर्च के अनुसार, इंसानों की तरफ से की जानेवाली ध्वनि प्रदूषण का असर चिड़ियों और पक्षियों पर हो रहा है। उनकी दिनचर्या, उनके लिए भोजन का इंतजाम और यहां तक कि उन्हें भोजन ढूंढ़ने और मेटिंग (प्रजनन के लिए) पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। रिसर्च के अनुसार, इसका असर पक्षियों की संख्या में कमी के तौर पर भी नजर आ सकता है। इस रिसर्च टीम के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर गेरेथ अर्नोट ने कहा, ‘ध्वनि पक्षियों के लिए एक बेहतर संचार माध्यम है। पक्षी जहां तक देख सकते हैं उससे भी बहुत आगे तक सुन सकते हैं। पक्षियों का गाना ही एक तरह से उनके अधिकार क्षेत्र को बताता है। अपने अधिकार क्षेत्र या अपने इलाके को बताने के लिए पक्षी एक सुर में आवाज का प्रयोग करते हैं। एक बहुत मजबूत आवाज पक्षियों का सिर्फ अधिकार क्षेत्र ही नहीं बताती, मेटिंग के लिए भी वह खास किस्म की ऊर्जा से भरपूर आवाज ही निकालते हैं।’ रिसर्च के अनुसार, आनेवाले वक्त में पक्षियों की संख्या पर इंसानी शोर का प्रभाव पड़ रहा है। पक्षियों के गीत ध्वनि प्रदूषण के कारण प्रभावित हो रहा है। इसका असर उनकी गतिविधि, उनके बचे रहने की परिस्थितियों और प्रजनन पर पड़ रहा है। वन्य जीवों के साथ ही पक्षियों को भी सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए जाएं। ध्वनि प्रदूषण आज के दौर की एक बहुत बड़ी समस्या है। यह न सिर्फ पशु-पक्षियों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है बल्कि इंसान भी इससे प्रभावित होने से नहीं बच रहे हैं।