चीन ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग में अहम भूमिका निभाई : FAO official

इस हफ्ते बुधवार को इटली के रोम में स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित कर संयुक्त राष्ट्र ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस’ मनाया। सम्मेलन में उपस्थित लोगों ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व खाद्य व्यवस्था
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चीन ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग में अहम भूमिका निभाई : FAO official

इस हफ्ते बुधवार को इटली के रोम में स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित कर संयुक्त राष्ट्र ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस’ मनाया। सम्मेलन में उपस्थित लोगों ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व खाद्य व्यवस्था पर, खास कर कम आय वाले देशों पर बड़ा प्रभाव हुआ। खाद्य और कृषि संस्थाएं दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाएंगी और संबंधित देशों की खाद्य व्यवस्था में सुधार का समर्थन करेंगी। इस दौरान चीन अहम भूमिका निभाएगा। ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ विकासशील देशों के बीच आर्थिक तकनीकी सहयोग है। सन 2003 में संयुक्त राष्ट्र ने ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य विभिन्न गतिविधियों के आयोजन से विकासशील देशों के बीच विकास के अनुभवों का आदान-प्रदान करने तथा नए सहयोग रास्ते पर विचार विमर्श करना है।

चीन ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ का सक्रिय समर्थक है। लम्बे समय में चीन संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के तहत विभिन्न क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग का समर्थन करता है और इसमें सक्रिय रूप से भाग लेता है। साल 2009 में चीन ने एफएओ के साथ दक्षिण-दक्षिण सहयोग योजना शुरू की। 2018 में, चीन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग और त्रिपक्षीय सहयोग वाली पहली व्यवस्था की स्थापना की, जिससे विकासमान देशों के कृषि क्षेत्र में नवाचार निवेश, तकनीकी आदान-प्रदान और क्षमता के निर्माण को समर्थन मिला है।

एफएओ के उप महानिदेशक बेथ बेचडोल के मुताबिक, दक्षिण-दक्षिण सहयोग के सबसे महत्वपूर्ण सहयोग साझेदारी के रूप में चीन ने चीन-एएफओ दक्षिण-दक्षिण सहयोग की योजना के लिए 8 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रदान किया। अब तक, इस योजना से दुनिया भर में 70 हजार किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर लाभ मिला है। इसके साथ ही चीनी विशेषज्ञों ने साझेदार देशों को 450 से अधिक कम लागत वाली तकनीक मुहैया करवाईं।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस