पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते में दरार बनाता है शक

जहां पति-पत्नी और प्यार बीच बना ये त्रिकोणीय मेल जीवन में खुशहाली लाता है वही यदि प्यार की जगह शक का बीज आ जाये तो यह जिंदगी की सारी खुशियों को एक बार में समेटकर ले जाता है। जिसका अंत भी काफी दुखद हो सकता है। क्योकि किसी के जीवन में उपजने वाला शक ऐसा
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जहां पति-पत्नी और प्यार बीच बना ये त्रिकोणीय मेल जीवन में खुशहाली लाता है वही यदि प्यार की जगह शक का बीज आ जाये तो यह जिंदगी की सारी खुशियों को एक बार में समेटकर ले जाता है। जिसका अंत भी काफी दुखद हो सकता है। क्योकि किसी के जीवन में उपजने वाला शक ऐसा बीज है जो परिवार की हंसती-खेलती ज़िंदगी में जहर खोल जाता है, जिसमें जिंदगी के बंटवारे हो जाते है। शक नाम की यह बीमारी कोई आज की समस्या नहीं है। यह बीमारी जन्न जन्मातंर से चली आ रही है। इससे जुड़ी कई कहानियां तो इतिहास भी बन चुकी है। पर क्या किसी ने इस बात को गंभीरता से लिया है? आज हम आपको बताने जा रहे है शक जैसी बीमारी के बढ़ने का कारण क्या होता है। जानें इसके कारण.. शोध बताते हैं कि किसी पर शक करना अपने अंदर छुपी कमजोरी को दबाने की पहली सीढ़ी होती है।

जिसका इलाज सही समय पर ना होने पर यह झुंझलाहट चिड़चिड़ापन और अविश्‍वास का कारण बन जाता है। जो आगे चलकर अपने आप में असुरक्षा की भावना को जन्म देता है, जिसके कारण कई तरह के डर दिमाग़ में घर कर जाते हैं। ऐसा होने पर जहां एक ओर आप मानसिक बीमारी के शिकार बनने लगते हैं, तो वही दूसरी ओर आपका जीवन भी बिखरने लग जाता है। हम यहां बता दे कि शक की यह बीमारी कभी लिंग भेद के आधार पर नही आती। ये सभी तरह के लोगों के शरीर पर विकसित हो सकती है।अगर इसका विश्‍लेषण किया जाए, तो सवाल यह उठता है कि आख़िर हम शक करते क्यों हैं? जब भी हम किसी नए जीवन में क़दम रखते हैं, तो उस बीच मन में आकांक्षाओं के साथ आशंकाएं भी पैदा होने लगती हैं।

जैसे किसी नई नौकरी में जाते समय या कॉलेज का पहला दिन, किसी तरह का डर या शक मन में कई तरह के विचार लाने लगता है। इसी तरह जीवन का कोई रिश्ता आगे नए रास्ते पर बढ़ता है, तो मन में शक तो रहेगा ही। जीवन से बंधे रिश्ते में यदि आपको अपने अंदर छिपी किसी चीज़ से डर लगता है, उदाहरण के लिये यदि आपको सेक्स से डर लगता है और इससे आपको अपने रिश्ते के टूटने का भय हो, तो उसे छिपाने के लिए आप शक का सहारा लेते हैं। शरीर के अंदर छिपी कमजोरी ही हीनभावनाएं को जन्म देती है। जो असुरक्षा की भावना लाती हैं और यही असुरक्षा शक को जन्म देती है। असुरक्षा किसी अपने प्रियजन को खो देने की, असुरक्षा अपनी महत्ता खो देने की हो सकती है मान लीजिए कोई पति या पत्नि किसी हीनभावना से ग्रसित है, तो उसे हमेशा अपने पार्टनर को खो देने की अंशका हमेशा बनी रहती है कहीं उसका पार्टनर उससे दूर होकर किसी दूसरे के करीब तो नही जा रहा है।

या कहीं मेरा साथी मुझे छोड़कर तो नहीं चला जाएगा। इस प्रकार के विचार ही, चिंता, शक और अविश्‍वास को जन्म देने लग जाते है शरीर के अंदर पनप रही असुरक्षा के चलते वो अपने साथी को अपने पास रखने की कोशिश करता हैं, जो रिश्ते के अंत का कारण बन जाता है। शक के पैदा होने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु होता है धोखा। यदि किसी के जीवन में किसी ने पहले कभी धोखा दिया है या ख़ुद ने किसी को धोखा दिया हो, तो यह शक उसके जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। यह मानव प्रवृत्ति है हर कोई अपने खुंद के अनुभवों से ही हर कुछ सीखता है। शक की इस सुई को यदि समय रहते ना रोका गया, तो खुद का स्वाभीमान तो जाता ही है साथ ही आपका रिश्ता भी टूटने की कगार पर रहता है। शक के आने से ना केवल दो रिश्ते टूटते है बल्कि पूरा परिवार बिखर जाता हैं।

शक्की व्यक्ति अपने जीवन में किसी चीज से संतुष्ट नहीं रह सकता। इसलिये शक को एक सीमा के परे बढ़ने ना देना बेहद आवश्यक है। इस निंयत्रिंत करना बेहद आवश्यक है । तो जाने कैसे किया जाए इस शक को नियंत्रित? सबसे पहले अपने आत्मविश्वास को जगाये। परिवार के बीच एक दूसरे के प्रति विश्वास को बनाये रखें। साथ ही अपने पार्टनर को बताने का प्रयास करें कि प्यार कभी अकेला नहीं रहता। यह हमेशा विश्‍वास के साथ रहता है। अगर विश्‍वास ख़त्म हो जाए, तो प्रेम की सुंदरता दोनों के बीच बनी रहेगी। मन में हो रहे वेफिजूल सवालों को और अपने साथी से दूर रखें। शक वाले सवाल कि तुम इतनी देर कहां रही?

किसके साथ थी? इसी तरह से यब बात लड़कियों पर भी लागू होती है बार बार फोन करके यह पूछना कि तुम अभी कहां हो, किसके साथ हो, तुम मुझसे प्यार तो करते/करती हो ना… कहीं तुम मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रहे… ये सवाल आपके रिश्ते को कमज़ोर बनाएंगे। आप जितनी बार अपने पार्टनर पर बेवजह किसी भी बात पर शक कर रहे है, तो उतनी बार उस पर फिर से विश्‍वास करें। यह काम आपको लिये भले ही मुश्किल हो पर विश्वास से ही रिश्ते मजबूत बनते है। और इसी विश्वास से ही खुशहाल जिंदगी टिकी रहती है। जो लोग विना किसी मतलब की बातों को ज्यादा सोचते है। और उस बातों को परिवार क बीच लाकर तिल का ताड़ बना लेते हैं ऐसी बात को अपने विचारों में रखना जो कभी हुई ही नहीं, ऐसे विचार आपके रिश्ते को तोड़ने के लिये ज्यादा समय नही लेते है।

ऐसा होगा या वैसा होगा… इन बातों का कोई अंत नहीं है। तो बिना किसी सबूत के होनेवाले शक पर लगाम तो आपको ही करनी होगी। अपने आपको कभी खाली मत रखिए क्योकि खाली दिमाग़ में शैतान का होता है। अपने अपने काम को हमेशा व्यस्त रखने का प्रयास करें जिससे दिमाग़ और ऊर्जा में आपके सकारात्मकता उर्जा आये। शक आपके अपने दिमाग़ की खुद की उपज है, इसलिए उसे ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी भी आपकी ही है। इसके लिये आप चाहे तो किसी वफादार दोस्त या एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं।