लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस दिल के मरीजों के लिए वरदान

कार्डियक साइंस के क्षेत्र में प्रगति आखरी चरण वाले दिल के मरीजों के लिए एक वरदान साबित हुई है। अच्छी खबर यह है कि जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लान्ट (Heart transplant) के लिए वेटिंग में लगे हैं, उनके लिए एलवीएडी (LVAD) या लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस (Left Ventricular Assist Device) किसी वरदान से कम नहीं है।
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कार्डियक साइंस के क्षेत्र में प्रगति आखरी चरण वाले दिल के मरीजों के लिए एक वरदान साबित हुई है। अच्छी खबर यह है कि जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लान्ट (Heart transplant) के लिए वेटिंग में लगे हैं,  उनके लिए एलवीएडी (LVAD) या लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस (Left Ventricular Assist Device) किसी वरदान से कम नहीं है। साइंस और टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, मेकेनिकल हार्ट दिल की विफलता वाले मरीजों और दिल के डॉक्टरों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हुआ है। इस प्रकार की प्रगति के बारे में जागरूकरता बढ़ाने से कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

क्या है लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस (What Is Left Ventricular Assist Device)

साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक व यूनिट हेड, डॉ. रिपेन गुप्ता बताया, “लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस (Left Ventricular Assist Device) एक मेकेनिकल पंप है, जिसे उन मरीजों में इंप्लान्ट किया जाता है, जो हार्ट ट्रांसप्लान्ट के लिए वेटिंग में लगे होते हैं। यह उपकरण बैटरी की मदद से चलता है, जिसका मेकेनिकल पंप मरीज के बाएं चैंबर को खून पंप करने में मदद करता है, जिससे शरीर में खून का प्रवाह सही रहे।

हृदय रोग बढ़ने के कारण (Causes Of Heart Diseases)

देश में यह बीमारी, अधिक तनाव, खराब लाइफस्टाइल, जंक फूड का अधिक सेवन, शराब और धूम्रपान के कारण तेजी से बढ़ रही है। दिल की विफलता के लक्षणों में सांस में कमी, दोनों पैरों में सूजन, घबराहट, रात में पसीना, नींद में गड़बड़ी, भूख न लगना और दिल की अन्य बीमारियां आदि शामिल हैं। ऐसे मामलों में मरीज के पास केवल हार्ट ट्रांसप्लान्ट का विकल्प ही बचता है, जहां 70 फीसदी मरीज हार्ट डोनर के इंतेजार में ही दम तोड़ देते हैं। एलवीएडी ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ है, जो अभी तक कई मरीजों की जान बचाने में सफल रहा है।

एलवीएडी, दिल के आखरी चरण वाले मरीजों के लिए तैयार किया गया है, जिससे मरीजों की जान बचाना संभव हो पाता है। आज के समय में, एलवीएडी न सिर्फ वजन में हल्का होता है, बल्कि आकार में भी छोटा होता है, जिसके कारण इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसा होता है एलवीएडी

डॉ. गुप्ता बताते हैं कि एलवीएडी कृतिम दिल (आर्टिफिशियल हार्ट) से अलग होता है। कृतिम दिल कमजोर पड़ रहे दिल को पूरी तरह से बदल देता है, जबकी एलवीएडी दिल को पंप करने में मदद करता है, जिससे समय आने पर हार्ट ट्रांसप्लांट सफल हो सके। यह खून को बाएं वेंट्रिकल से लेकर महाधमनी तक पहुंचाता है, जिसके बाद पूरे शरीर में ऑक्सीजन से भरपूर खून का प्रवाह संभव हो पाता है। एलवीएडी को इंप्लान्ट करने के बाद आपको एलवीएडी कंट्रोलर और पावर सोर्स के साथ कनेक्ट कर दिया जाएगा। आपके जगने के साथ यह उपकरण बैटरी की मदद से चलता रहेगा और सोने के वक्त में खुद ही चार्ज होने लगेगा।