South Korea के राष्ट्रपति जापान के साथ वार्ता को तैयार

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ऐतिहासिक और व्यापार के मुद्दों पर सोल और टोक्यो के बीच लंबे समय से जारी संबंधों के बीच जापान के साथ बात करने के लिए तैयार है। मून ने 1 मार्च, 1919 को 1910-1945 के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की 102वीं वर्षगांठ के
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South Korea के राष्ट्रपति जापान के साथ वार्ता को तैयार

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ऐतिहासिक और व्यापार के मुद्दों पर सोल और टोक्यो के बीच लंबे समय से जारी संबंधों के बीच जापान के साथ बात करने के लिए तैयार है। मून ने 1 मार्च, 1919 को 1910-1945 के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की 102वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हमारी सरकार किसी भी समय जापानी सरकार के साथ बैठकर बातचीत करने के लिए तैयार है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे विश्वास है कि अगर हम एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करने की भावना के साथ (वार्ता की मेज पर) बैठते हैं तो हम बुद्धिमानी से अतीत के मुद्दों को हल कर पाएंगे।
व्यापार विवाद और ऐतिहासिक मुद्दों पर सोल-टोक्यो संबंध पिछले एक दशक से मधुर नहीं रहे हैं। जापान में सैन्य वेश्यालय के लिए कोरियाई महिलाओं की गुलामी और द्वितीय विश्व युद्ध के पहले और दौरान बिना वेतन के कोरियाई सैनिकों की जबरदस्ती भर्ती जैसे कुछ ऐतिहासिक मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने इस साल की शुरूआत में जापानी सरकार को दक्षिण कोरियाई यौन दासता पीड़ितों को नुकसान का भुगतान करने का आदेश दिया था। लेकिन जापान ने संप्रभु प्रतिरक्षा का हवाला देते हुए अदालत में अपना विरोध दर्ज कराया जो किसी देश को विदेशी अदालतों में दीवानी मुकदमे से प्रतिरक्षा करने की अनुमति देता है।
सोल की अदालत ने फैसला सुनाया कि प्रतिरक्षा को इस मामले में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि युद्ध में अत्याचार मानवता के खिलाफ अपराध है जो जानबूझकर, व्यवस्थित और व्यापक रूप से जापान द्वारा किए गए हैं।
जापान ने दावा किया कि 1965 की संधि, जिसने सोल और टोक्यो के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य किया, ने सभी औपनिवेशिक-युग के मुद्दों को हल किया, लेकिन दक्षिण कोरिया ने कहा कि नुकसान का व्यक्तिगत अधिकार अभी तक हल नहीं किया गया है।
मून ने कहा कि हमें अतीत का सामना करते हुए सबक सीखना चाहिए। अतीत के गलत तरीके से सबक सीखना शर्मनाक नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सम्मान पाने का एक तरीका है।
न्यूज सत्रोत आईएएनएस