फिट रहकर बच सकते हैं फेफड़े व कोलोरेक्टल कैंसर से

एक नए अध्ययन से इस बात का पता चलता है कि जिनमें फिटनेस कम होता है उनकी तुलना में जिन वयस्कों में फिटनेस की मात्रा अधिक होती है उनमें फेफड़े व कोलोरेक्टल कैंसर या कोलन कैंसर या वृहदांत्र कैंसर के होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 49,143
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एक नए अध्ययन से इस बात का पता चलता है कि जिनमें फिटनेस कम होता है उनकी तुलना में जिन वयस्कों में फिटनेस की मात्रा अधिक होती है उनमें फेफड़े व कोलोरेक्टल कैंसर या कोलन कैंसर या वृहदांत्र कैंसर के होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 49,143 वयस्कों पर साल 1991 से 2009 तक एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्टिंग किया। शोध के निष्कर्ष से पता चला कि उच्चतम फिटनेस की श्रेणी में आने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर के विकास की संभावना 77 प्रतिशत और कोलन कैंसर के विकास की संभावना 61 प्रतिशत कम हो गई। कैंसर नामक जर्नल में इस शोध को प्रकाशित किया गया है। इसमें दर्शाया गया है कि फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त व्यक्तियों में से जिनमें फिटनेस की मात्रा उच्चतम थी, जांच के दौरान उनके मरने की संभावना में 44 प्रतिशत की कमी आई और कोलन कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों में अधिक फिटनेस की श्रेणी में आने वाले लोगों में 89 प्रतिशत की कमी आई। अमेरिका में जॉन होपकिन्स विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक कैथरीन हैंडी मार्शल ने कहा कि कैंसर के परिणामों पर फिटनेस के प्रभाव को देखने के लिए हमारा यह शोध सबसे वृहद और विविध समूहों की इकाई में से एक है। मार्शल ने आगे यह भी कहा कि आमतौर पर आजकल डॉक्टरों के पास जाकर लोग फिटनेस टेस्टिंग करवाते हैं। पहले से ही कई लोगों के पास इसके परिणाम हो सकते हैं और उन्हें यह सूचित किया जा चुका है कि फिटनेस का कैंसर की संभावनाओं पर क्या प्रभाव है और इसके साथ ही फिटनेस का स्तर अन्य चीजों जैसे कि दिल की बीमारियों के लिए क्या मायने रखती है।इस बात में कोई संशय नहीं है कि फिटनेस का सकारात्मक प्रभाव हमारे दिल पर पड़ता है, इस बारे में हम सभी जानते हैं।